अक्साई चिन 1950 से चीन और भारत के बीच विवादित सीमा क्षेत्र है. चीन ने 1957 के आस पास इस क्षेत्र से होकर एक सड़क बनायी थी जो कि अक्साई चिन से होकर गुजरती है. इस कारण चीन ने इस क्षेत्र को अपने नक्से में दिखाना शुरू कर दिया. भारत का दावा है कि चीन ने लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है. भारत का दावा है कि कब्ज़ाया गया क्षेत्र जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है.
अक्साई चिन की भौगोलिक स्थिति (Geography of Aksai Chin)
अक्साई चिन मुख्य रूप से चीन में झिंजियांग स्वायत्त क्षेत्र में होटन काउंटी (Hotan County) का हिस्सा है. अक्साई चिन तिब्बत के पठार का दक्षिण-पश्चिम विस्तार है.
अक्साई चिन में बंजर, ऊंचे, अलग-थलग और ज्यादातर निर्जन मैदान हैं जो कि कराकोरम रेंज से पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम की ओर और कुनलुन पर्वत से उत्तर और उत्तर-पूर्व में स्थित हैं.
भारत का दावा है कि अक्साई चिन का चीनी कब्जे वाला हिस्सा भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा है.
अक्साई चिन क्षेत्र क्या है (What is Aksai Chin area)
अक्साई चिन समुद्र तल से लगभग 5,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित साल्ट फ़्लैट का एक विशाल रेगिस्तान है. इसका क्षेत्रफल लगभग 37,244 वर्ग किलोमीटर है.
जम्मू और कश्मीर राज्य के उत्तर पूर्वी हिस्से का यह बड़ा क्षेत्र 1950 से चीनी कब्जे में रहा है. चीन ने प्रशासनिक रूप से इसे शिनजियांग प्रांत के कारगिलिक जिले का हिस्सा बना दिया है.
अक्साई चिन क्षेत्र में जलवायु ठंडी और शुष्क है जो जुलाई और अगस्त के गर्मियों के महीनों में यहाँ बारिश होती है.
अक्साई चिन का इतिहास (History of Aksai Chin)
अक्साई चिन का मुद्दा भारत और चीन के बीच सन 1950 से ही लड़ाई की जड़ बना हुआ है. इस क्षेत्र में सीमा का स्पष्ट विभाजन नहीं था इसलिए भारत के सैनिक भी इस क्षेत्र में 1955 तक गस्त लगाते थे लेकिन 1957 में चीन ने इस इलाके से गुजरती हुई सड़क बनायी जो कि तिब्बत और झिंजियांग को जोड़ती है.
इस सड़क के बनते ही चीन ने अक्साई चिन के हिस्से को अपने नक्से में दिखा दिया जिसका भारत ने विरोध किया था और इसी विवाद के कारण भारत और चीन के बीच 1962 की लड़ाई हुई थी.
अक्साई चिन मुद्दे पर चीन और भारत ने 1962 में एक संक्षिप्त युद्ध लड़ा लेकिन 1993 और 1996 में दोनों देशों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा का सम्मान करने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे.
युद्ध के समापन पर, चीन ने अक्साई चिन में लगभग 38,000 वर्ग किमी क्षेत्र का नियंत्रण बनाए रखा. यह क्षेत्र अब तक दोनों देशों के बीच विवाद का विषय बना हुआ है.
अक्साई चिन क्षेत्र; बंजर, अलग-थलग और ज्यादातर निर्जन क्षेत्र होने के कारण का क्षेत्र लंबे समय से उपेक्षित था.
संसद ने एक प्रश्न के उत्त्तर में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर नेहरू ने कहा था कि वह जमीन तो बंजर थी हम लोग उसका क्या करते, बंजर जमीन के लिए हिंदी चीनी भाई-भाई के सम्बन्ध को क्यों खतरे में डालना.
चीन को पाकिस्तान का गिफ्ट:
पूर्व विदेश मंत्री स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने सवाल के जवाब में कहा कि 2 मार्च 1963 को चीन और पाकिस्तान के बीच तथाकथित चीन-पाकिस्तान “सीमा समझौते” पर हस्ताक्षर किए गए थे. इस समझौते में पाकिस्तान ने POK के 5,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को चीन को दे दिया था.
अक्साई चिन क्षेत्र में वर्तमान स्थिति:
अक्साई चिन, जम्मू और कश्मीर के कुल क्षेत्र का 15 प्रतिशत हिस्सा है, जिस पर चीन का अवैध कब्जा है. भारत का कहना है कि अक्साई चिन सहित पूरा जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है जबकि चीन ने हमेशा दावा किया है कि अक्साई चिन शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र (शिनजियांग उइघुर) है.
भारत जहाँ एक तरह दावा करता है कि चीन ने उसके 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को कब्ज़ा लिया है वहीँ चीन का दावा है कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश में चीन के 90,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पर कब्ज़ा किया हुआ है.
इस प्रकार स्पष्ट है कि भारत और चीन के बीच सीमा विवाद काफी जटिल मुद्दा है और आसानी से यह मुद्दा सुलझता नहीं दिखता है.