प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक समिति ने अरुणाचल प्रदेश में 2880 मेगावॉट (12 × 240 MW) की दिबांग बहुउद्देशीय परियोजना के लिए 1600 करोड़ रु. के निवेश पूर्व गतिविधियों पर व्यय को मंजूरी दी।
परियोजना की स्थिति व लागत
यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश के लोअर दिबांग घाटी जिले में ब्रह्मपुत्र की सहायक दिबांग नदी पर है।
यह भारत में बनाई जाने वाली सबसे बड़ी जलविद्युत परियोजना होगी।
बांध की प्रस्तावित ऊंचाई 278 मीटर है, कार्य पूरा होने पर यह भारत में सबसे ऊंचा बांध होगा।
परियोजना की कुल अनुमानित लागत 28080.35 करोड़ रुपये है। इसमें जून, 2018 के मूल्य स्तर पर 3974.95 करोड़ रुपये का आईडीसी तथा एफसी शामिल है।
परियोजना पूरी होने की अनुमानित अवधि सरकारी मंजूरी प्राप्ति से 9 वर्ष होगी।
उद्देश्य
परियोजना का प्रमुख उद्देश्य बाढ़ को कम करना है। इसकी कल्पना भंडारण आधारित जलविद्युत परियोजना के रूप में की गई है।
ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदियों की बाढ़ में कमी के लिए ब्रह्मपुत्र बोर्ड के मास्टर प्लान को लागू किए जाने के बाद काफी बड़े क्षेत्र को बाढ़ से बचाया जा सकेगा।
लाभपरियोजना पूरी होने पर अरुणाचल प्रदेश सरकार परियोजना से 12 प्रतिशत विद्युत अर्थात 1346.76 एमयू प्राप्त करेगी।
एक प्रतिशत निःशुल्क विद्युत यानी 112 एमयू ‘स्थानीय क्षेत्र विकास निधि’ में दी जाएगी।
परियोजना से प्रभावित परिवारों तथा राज्य सरकार को भूमि अधिग्रहण राहत और पुनर्वास गतिविधि के लिए 500.40 करोड़ रुपये मुआवजे का भुगतान किया जा सकेगा।
सामुदायिक तथा सामाजिक विकास योजना तथा सार्वजनिक सुनवाइयों के दौरान स्थानीय लोगों द्वारा उठाए गए विषयों पर खर्च हेतु 241 करोड़ रुपये का प्रस्ताव है।
स्थानीय लोगों की संस्कृति और पहचान के संरक्षण के लिए 327 लाख रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है।
हानि
वर्ष 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस परियोजना की आधारशिला रखी थी, परंतु पर्यावरण मंत्रालय की वन सलाहकार समिति द्वारा वर्ष 2013 और 2014 में पर्यावरण और सामाजिक सरोकार के कारण इस परियोजना को दो बार खारिज कर दिया गया था।
परियोजना से लगभग 30.0000 पेड़ों की कटाई होगी, जिससे उस क्षेत्र की पारिस्थितिकी प्रभावित होगी।
जनजातीय आबादी और उनकी आजीविका का स्रोत प्रभावित होगा।
उस क्षेत्र में निवास करने वाले वन्यजीव, हाथी, हुलाक गिब्बन, मेघ तेंदुए, बाघ, मछली पकड़ने वाली बिल्लियां, हिम तेंदुए, हिमालयी काले भालू आदि प्रभावित होंगे।
ध्यातव्य है परियोजना को निवेश स्वीकृति के लिए भारत सरकार से सभी वैधानिक मंजूरियां मिल गई हैं। इनमें तकनीकी मंजूरी, पर्यावरण मंजूरी, वन मंजूरी (चरण I) तथा वन मंजूरी को छोड़कर रक्षा मंजूरी (चरण II) शामिल है।