न्यूज़ीलैंड सरकार द्वारा ‘वेलबीइंग बजट’ बजट असमानता की चुनौती से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया है। न्यूजीलैंड विश्व का पहला ऐसा देश बना गया है जिसने बजट में आर्थिक विकास दर को प्राथमिकता न देते हुए लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी है।
न्यूजीलैंड सरकार द्वारा 30 मई 2019 को विश्व में पहली बार ‘वेलबीइंग बजट’ पेश किया गया। न्यूजीलैंड सरकार के वित्तमंत्री ग्रांट रॉबर्टसन ने इस ‘वेलबीइंग बजट’ में एक बड़ा हिस्सा बाल गरीबी, मानसिक स्वास्थ्य और घरेलू हिंसा रोकने के लिए सुरक्षित रखा है। न्यूजीलैंड के वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए संसद में कहा कि न्यूजीलैंड में रह रहे बहुतायत लोगों को बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था का लाभ नहीं मिल पाया है जिसके चलते इस प्रकार का बजट लाया गया है।
न्यूजीलैंड सरकार का कहना है कि ‘वेलबीइंग बजट’ बजट असमानता की चुनौती से निपटने के लिए प्रस्तुत किया गया है। न्यूजीलैंड विश्व का पहला ऐसा देश बना गया है जिसने बजट में आर्थिक विकास दर को प्राथमिकता न देते हुए लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी है, इसलिए इसे वेलबीइंग बजट कहा गया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने अनुमान लगाया है कि न्यूज़ीलैंड के इस बजट के बाद देश अर्थव्यवस्था की विकास दर 2019 में 2.5 प्रतिशत और 2020 में 2.9 प्रतिशत रह सकती है।
न्यूज़ीलैंड के ‘वेलबीइंग बजट’ की प्रमुख घोषणाएं
• न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था के इतिहास में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य के संकट से निपटने के लिए 1.9 बिलियन न्यूजीलैंड डॉलर (एक न्यूजीलैंड डॉलर 45.57 रुपए के बराबर) की राशि आवंटित की गई है।
• घरेलू हिंसा को रोकने के लिए 320 मिलियन डॉलर का निवेश किया जाएगा। बच्चों के कल्याण के लिए एक बिलियन डॉलर से अधिक बजट निर्धारित किया गया है. प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने बच्चों के कल्याण पर विशेष रूप से ध्यान दिया है।
• न्यूजीलैंड के कुल बजट 25.6 बिलियन डॉलर में से 1.2 बिलियन डॉलर स्कूलों, 1 बिलियन डॉलर कीवीरेल, 168 मिलियन डॉलर गन लौटाने की योजना के लिए निर्धारित किए गए हैं।
• इसके अतिरिक्त वनक्षेत्र में बढ़ोतरी करने और पर्यावरण पर न्यूजीलैंड के बजट में विशेष ध्यान दिया गया है। न्यूज़ीलैंड के बजट में पर्यावरण संरक्षण पर 1.13 बिलियन डॉलर खर्च किए जाएंगे।
भूटान का उदहारण
भूटान विश्व का पहला ऐसा देश है जहां विकास मापने के लिए खुशी को आधार (Happiness Index) बनाया गया है। भूटान में सबसे पहले 1970 में इससे जुड़ा आइडिया पेश किया गया और 2008 में नागरिकों की खुशियां मापने के लिए ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस इंडेक्स लाया गया था। कई और देशों ने भी इसी तरह के प्रयोगों की कोशिश की है, हालांकि, न्यूजीलैंड पहला ऐसा देश है जहां सरकार के बजट का बड़ा हिस्सा खुशी के लिए खर्च किया जाता है।